स्वार्थ की दुनिया – प्रेरणा स्रोत कहानी। Prernadayak kahani :
जंगल के एक स्वच्छ तालाब में एक हंस और उसकी पत्नी हंसिनी रहते थे।
जंगल की हरियाली, ठंडी हवा और सुकून भरा जीवन—सब कुछ बहुत सुंदर बीत रहा था।
एक दिन हंसिनी बोली —
“सुनो जी, हर समय यही झील, यही पेड़-पौधे और यही जंगल की ज़िंदगी देखकर बोर हो गई हूँ।
मेरा मन करता है, थोड़ा गाँव घूम आऊँ।”
हंस बोला —
“गाँव का जीवन? वहाँ इंसान रहते हैं…
जहाँ चालाकी, झगड़े और लालच का जाल फैला है।
हमारे लिए तो जंगल ही सही है, चुपचाप रहो।”
पर हंसिनी कहाँ मानने वाली थी!
वह गाँव जाने की ज़िद पर अड़ गई।
आख़िरकार हंस को झुकना पड़ा और दोनों गाँव की ओर चल दिए।
गाँव पहुँचते ही हंस के पंख जैसे भारी पड़ गए।
हर जगह सड़कों पर गंदगी, रोना-धोना, लड़ाई-झगड़े और भूखमरी का माहौल देखकर वह दुखी हो उठा।
हंस बोला —
“देख लिया न? यहाँ तो सांस लेना भी मुश्किल है।
चलो, वापस जंगल चलें। वहाँ भले इंसान नहीं हैं, पर शांति तो है।”
हंसिनी बोली —
“बस थोड़ा रुक जाओ, देखो कितना बड़ा पीपल का पेड़ है,
थोड़ा आराम कर लेते हैं।”
हंस बोला —
“तुम्हारा यही ‘थोड़ा’ हमेशा मुझे थकाता है!
चलो, घर पर ही आराम करना। फिर भी ठीक है, थोड़ा आराम कर लेते हैं।”
पेड़ के ऊपर एक उल्लू बैठा था।
हंसिनी बोली —
“देखो, जिस गाँव में उल्लू का बसेरा हो, उस गाँव का भला कभी नहीं हो सकता!”
यह सुनकर उल्लू को बहुत गुस्सा आ गया।
वह नीचे उतरा और हंसिनी को अपने पंजों में पकड़ लिया।
हंस घबराकर बोला —
“भाई उल्लू, क्या कर रहे हो? मेरी पत्नी को छोड़ दो!”
उल्लू बोला —
“कौन सी पत्नी? ये तो मेरी पत्नी है!”
अब विवाद बढ़ गया। मामला गाँव की पंचायत तक पहुँच गया।
गाँव वालों ने सोचा —
“यदि हंस के पक्ष में फैसला देंगे तो ये दोनों जंगल लौट जाएंगे,
और यदि उल्लू के पक्ष में देंगे तो हंसिनी गाँव में ही रहेगी,
जिससे गाँव की शोभा बढ़ेगी।”
अतः पंचों ने फैसला उल्लू के पक्ष में सुना दिया।
यह सुनकर हंस फूट-फूटकर रोने लगा।
यह देखकर उल्लू को दया आ गई।
वह नीचे आया और बोला —
“भाई, रोते क्यों हो? यह सब एक नाटक था।
तेरी पत्नी ने मेरा अपमान किया था,
इसलिए मैंने उसे सबक सिखाया।
जहाँ तक इन गाँव वालों का सवाल है —
इस गाँव की हालत इनके अपने कुकर्मों के कारण है।
इनके दिलों में गंदगी भरी है, मेहनत कोई करता नहीं,
सब आलसी हैं और अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं।”
हंस ने उल्लू से माफी मांगते हुए , पत्नी के साथ वापस जंगल की ओर चल दिए।
🌿 कहानी का संदेश (Moral of the Story):
यह कहानी संदेश देती है कि लोग सिर्फ अपने हित देखती है। इसके लिए वह सही गलत की बिलकुल नहीं सोचते है। गांव के पंच के द्वारा की जाने वाली फैसला , जो कि पूरी तरह गलत था लेकिन वह अपने फायदे के लिए ,उल्लू के पक्ष में फैसला सुनाते हैं।
जहाँ स्वार्थ बढ़ता है, वहाँ इंसानियत घटती है। प्रकृति की सादगी में जो सुकून है, वह स्वार्थी समाज में कभी नहीं मिल सकता।

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