इलेक्ट्रॉन(Electron) क्या है ? ,परिभाषा , विशेषता एवं महत्व।

इलेक्ट्रॉन(Electron) क्या है ? Electron Kya Hai .

इस पेज में इलेक्ट्रॉन (Electron) से संबंधित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दिया गया है — जैसे इलेक्ट्रॉन क्या है, यह कहाँ पाया जाता है, और हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है आदि।

अगर “इलेक्ट्रॉन” न होता, तो हम न कंप्यूटर चला पाते, न बल्ब, न टीवी, और न ही बिजली का उत्पादन कर पाते। यानी, हमारे दैनिक जीवन में इसके असंख्य फायदे हैं।

हमने इसके फायदे पहले ही इसलिए बता दिए हैं ताकि यह विषय आपके लिए रोचक बन जाए, क्योंकि लगभग 99% विद्यार्थी इसके रहस्यों और महत्व को नहीं जानते। वे केवल परीक्षा में पास होने के लिए इसे रटकर आगे बढ़ जाते हैं।

इलेक्ट्रॉन एक नकारात्मक (Negative) कण होता है, जो किसी परमाणु (Atom) का हिस्सा होता है।

Electron क्या है ? 

इस ब्रह्मांड की हर वस्तु बहुत ही छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है, जिन्हें हम परमाणु (Atom) कहते हैं।

हर परमाणु अपने आप में तीन सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है — प्रोटॉन (Proton), न्यूट्रॉन (Neutron) और इलेक्ट्रॉन (Electron) कहते हैं।

अर्थात्, इलेक्ट्रॉन परमाणु का एक कण (Particle) होता है, जो परमाणु के नाभिक (Nucleus) के चारों ओर घूमता रहता है और नकारात्मक विद्युत आवेश (Negative Electric Charge) रखता है।

इलेक्ट्रॉन की परिभाषा (Definition of Electron):

इलेक्ट्रॉन एक बहुत ही छोटा उप-परमाण्विक कण (Subatomic Particle) है, जिस पर नकारात्मक विद्युत आवेश (Negative Electric Charge) होता है। यह परमाणु के नाभिक (Nucleus) के चारों ओर परिक्रमा (Revolve) करता है।

इलेक्ट्रॉन की खोज (Discovery of Electron):

इलेक्ट्रॉन की खोज ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन (J. J. Thomson) ने सन् 1897 में की थी।

उन्होंने यह खोज कैथोड किरण प्रयोग (Cathode Ray Experiment) के ज़रिए की।

इस प्रयोग में उन्होंने गैस से भरी एक काँच की नली (Cathode Ray Tube) ली और उस पर उच्च वोल्टेज (High Voltage) लगाया। उन्होंने देखा कि नली के कैथोड (Cathode) से कुछ किरणें निकलती हैं जो एनोड (Anode) की ओर जाती हैं। इन किरणों को “कैथोड किरणें (Cathode Rays)” कहा गया।

थॉमसन ने पाया कि ये किरणें चुंबकीय (Magnetic) और विद्युत क्षेत्र (Electric Field) से प्रभावित होती हैं। इससे यह सिद्ध हुआ कि इन किरणों में नकारात्मक आवेश वाले छोटे-छोटे कण होते हैं। इन्हीं कणों को उन्होंने “इलेक्ट्रॉन (Electron)” नाम दिया।

इलेक्ट्रॉन का आवेश और द्रव्यमान (Charge and Mass of Electron):

1. इलेक्ट्रॉन का आवेश (Charge of Electron):

इलेक्ट्रॉन पर नकारात्मक विद्युत आवेश (Negative Electric Charge) होता है। इसका मान −1.602 × 10⁻¹⁹ कूलॉम (Coulomb) होता है।

इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉन में बहुत ही छोटा लेकिन निश्चित मात्रा का नकारात्मक चार्ज होता है।

यदि किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाती है, तो वह वस्तु ऋणात्मक (Negative) हो जाती है,

और अगर इलेक्ट्रॉन कम हो जाएँ, तो वह वस्तु धनात्मक (Positive) बन जाती है। इसी कारण बिजली (Electricity) का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह से ही संभव होता है।

 

इलेक्ट्रॉन की स्थिति (Position of Electron):

इलेक्ट्रॉन हमेशा परमाणु के नाभिक (Nucleus) के चारों ओर घूमता (Revolve) रहता है।

यह किसी एक जगह स्थिर नहीं होता, बल्कि नाभिक के चारों ओर अलग-अलग गोल रास्तों (Circular Paths) या कक्षाओं (Orbits / Shells) में घूमता है।

इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर (Energy Levels) कहा जाता है, क्योंकि हर कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा अलग-अलग होती है।

इन कक्षाओं को अक्षरों से नाम दिया गया है — K, L, M, N, O… आदि।

सबसे अंदर वाली कक्षा K-shell कहलाती है, और जैसे-जैसे हम बाहर की ओर जाते हैं, कक्षाओं की संख्या और ऊर्जा बढ़ती जाती है।

उदाहरण के लिए 👇

K कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा सबसे कम होती है।

L कक्षा में उससे ज़्यादा ऊर्जा होती है।

M और N कक्षा में ऊर्जा और बढ़ती जाती है।

यह पूरा मॉडल डेनमार्क के वैज्ञानिक नील्स बोहर (Niels Bohr) ने सन् 1913 में बताया था। इसलिए इसे बोहर मॉडल (Bohr Model) कहा जाता है।

बोहर के अनुसार — हर इलेक्ट्रॉन अपनी निश्चित कक्षा (Fixed Orbit) में घूमता है, और जब वह एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाता है, तो वह ऊर्जा (Energy) को अवशोषित (Absorb) या त्याग (Emit) करता है।”

यही कारण है कि परमाणु की ऊर्जा और उसका व्यवहार (Behavior) इलेक्ट्रॉनों की स्थिति पर निर्भर करता है।

इलेक्ट्रॉन की गति और ऊर्जा (Motion and Energy of Electron):

इलेक्ट्रॉन हमेशा गति (Motion) में रहते हैं।

वे परमाणु के नाभिक (Nucleus) के चारों ओर बहुत तेज़ी से घूमते हैं, जैसे ग्रह (Planets) सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।

इलेक्ट्रॉन को उसकी कक्षा में बनाए रखने वाला एक केंद्रीय बल (Centripetal Force) होता है।

यह बल नाभिक में मौजूद धनात्मक प्रोटॉन (Positive Protons) और इलेक्ट्रॉन के नकारात्मक आवेश (Negative Charge) के बीच आकर्षण के कारण बनता है। यही आकर्षण इलेक्ट्रॉन को उसकी कक्षा से बाहर निकलने नहीं देता।

अब बात करते हैं ऊर्जा (Energy) की  : हर इलेक्ट्रॉन के पास अपनी एक निश्चित ऊर्जा होती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस कक्षा (Orbit / Shell) में है।

जो इलेक्ट्रॉन नाभिक के सबसे पास (K-shell) में होता है, उसकी ऊर्जा सबसे कम होती है।

इलेक्ट्रॉन का क्वांटम स्वरूप (Quantum Nature of Electron):

आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) के अनुसार, इलेक्ट्रॉन केवल एक कण (Particle) नहीं है, बल्कि वह तरंग (Wave) की तरह भी व्यवहार करता है।यानी, इलेक्ट्रॉन में कण और तरंग – दोनों के गुण पाए जाते हैं। इस विचार को कण-तरंग द्वैत (Wave Particle Duality) कहा जाता है।

इस सिद्धांत को फ्रांस के वैज्ञानिक लुई डी-ब्रॉय (Louis de Broglie) ने सन् 1924 में प्रस्तुत किया था।

डीब्रॉय ने कहा किहर गतिशील कण (Moving Particle), जैसे इलेक्ट्रॉन, में तरंग का भी स्वभावहोता है।

इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉन कभी-कभी कण की तरह व्यवहार करता है — यानी उसकी एक निश्चित स्थिति और द्रव्यमान होता है,
और कभी-कभी वह तरंग की तरह व्यवहार करता है — यानी वह फैल सकता है और हस्तक्षेप (Interference) जैसी तरंगों की विशेषताएँ दिखा सकता है।

इसी कारण इलेक्ट्रॉन को क्वांटम कण (Quantum Particle) कहा जाता है,
और उसका अध्ययन क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) के माध्यम से किया जाता है।

यह सिद्धांत आगे चलकर आधुनिक परमाणु मॉडल (Modern Atomic Model) और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Electronic Devices) की समझ में बहुत उपयोगी साबित हुआ।

इलेक्ट्रॉन का व्यवहार (Behavior of Electron):

1. इलेक्ट्रॉन हमेशा नकारात्मक आवेश रखता है। हर इलेक्ट्रॉन पर हमेशा नकारात्मक विद्युत आवेश(Negative Electric Charge) होता है। यह आवेश कभी बदलता नहीं है और इसकी मात्रा निश्चित होती है  −1.602 × 10⁻¹⁹ कूलॉम (Coulomb) होती है। इसी नकारात्मक आवेश के कारण इलेक्ट्रॉन धनात्मक कणों (Positive Particles) जैसे प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है।

2. यह विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से प्रभावित होता है।
इलेक्ट्रॉन पर जब विद्युत क्षेत्र (Electric Field) या चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) डाला जाता है,
तो इसकी दिशा (Direction) और गति (Speed) दोनों बदल जाती हैं। यही गुण इलेक्ट्रॉन को कैथोड किरण नली (Cathode Ray Tube), टीवी, ऑस्सिलोस्कोप, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोगी बनाता है।

3. यह ऊर्जा को अवशोषित (Absorb) और उत्सर्जित (Emit) कर सकता है।

जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा प्राप्त करता है, तो वह ऊपरी कक्षा (Higher Orbit) में चला जाता है। और जब वह ऊर्जा छोड़ता है, तो नीची कक्षा (Lower Orbit) में लौट आता है। ऊर्जा छोड़ते समय अक्सर प्रकाश (Light) उत्सर्जित होता है। यही कारण है कि बल्ब, ट्यूबलाइट और फ्लोरोसेंट लैंप जैसे उपकरण चमकते हैं।

4. इसका स्थान निश्चित नहीं होता — केवल संभावना बताई जा सकती है। आधुनिक भौतिकी के अनुसार, किसी भी समय इलेक्ट्रॉन कहाँ है, यह ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता। केवल यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह किस क्षेत्र में मिलने की संभावना ज़्यादा है।

इसी सिद्धांत को हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत (Heisenberg’s Uncertainty Principle) कहा जाता है।

इस सिद्धांत के अनुसार —

इलेक्ट्रॉन की स्थिति (Position) और उसकी गति (Velocity) को एक साथ ठीक-ठीक नहीं मापा जा सकता है।

इसलिए वैज्ञानिक इलेक्ट्रॉन को किसी कक्षा (Orbit) में नहीं, बल्कि एक संभाव्यता बादल (Probability Cloud) में मानते हैं — जहाँ उसकी उपस्थिति की संभावना सबसे अधिक हो ती है।

इलेक्ट्रॉन और विद्युत धारा (Electron and Electric Current):

जब किसी चालक (Conductor) जैसे तांबे के तार (Copper Wire) में इलेक्ट्रॉन एक दिशा में बहते हैं, तो विद्युत धारा (Electric Current) उत्पन्न होती है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉन के बहाव की दिशा के विपरीत होती है।

यानी, विद्युत धारा का प्रवाह हमेशा धनात्मक चार्ज (Positive Charge) के चलने की दिशा के हिसाब से माना जाता है।

इसे आसान उदाहरण से समझें 👇

मान लीजिए कि इलेक्ट्रॉन पूरब (East) से पश्चिम (West) दिशा में बह रहे हैं , तो विद्युत धारा इस तार में पश्चिम से पूरब की दिशा में मानी जाएगी।

इस नियम को धारा की पारंपरिक दिशा (Conventional Current Direction) कहा जाता है। इतिहास में यह नियम इस वजह से बनाया गया कि बिजली की खोज के समय वैज्ञानिकों को चार्ज के सकारात्मक बहाव का ध्यान था, जबकि बाद में पता चला कि वास्तव में धारा इलेक्ट्रॉनों के बहाव से बनती है।

 इलेक्ट्रॉन और चुंबकत्व (Electron and Magnetism):

जब इलेक्ट्रॉन गति करता है, तो उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) बन जाता है।

यानी, इलेक्ट्रॉन केवल विद्युत चार्ज ही नहीं है, बल्कि यह चुंबकीय प्रभाव भी पैदा कर सकता है। इसी कारण, जब बहुत सारे इलेक्ट्रॉन किसी तार में एक दिशा में बहते हैं, तो यह चुंबकीय बल (Magnetic Force) उत्पन्न करता है।

यह सिद्धांत इलेक्ट्रिक मशीनों में बहुत काम आता है — जैसे:

  1. मोटर (Motor) — जो विद्युत ऊर्जा को गति में बदलता है।
  2. जनरेटर (Generator) — जो गति से विद्युत ऊर्जा बनाता है।
  3. ट्रांसफॉर्मर (Transformer) — जो विद्युत धारा और वोल्टेज को बदलता है।

इलेक्ट्रॉन की विशेषताएँ (Characteristics of Electron):

1. सूक्ष्म कण (Extremely Small Particle):

इलेक्ट्रॉन इतना छोटा और हल्का होता है कि उसे आंख से नहीं देखा जा सकता, लेकिन इसका अस्तित्व हर जगह महसूस किया जा सकता है।

2. नकारात्मक चार्ज (Negative Charge): इलेक्ट्रॉन हमेशा नकारात्मक विद्युत आवेश (Negative Electric Charge) रखता है। यही आवेश उसे परमाणु के प्रोटॉन के प्रति आकर्षित करता है।

3. अदृश्य लेकिन प्रभावशाली (Invisible but Powerful): इलेक्ट्रॉन प्रकृति का अदृश्य घटक है, जो पूरे ब्रह्मांड को संचालित करता है। यह बिजली, चुंबकत्व और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आधार है।

4. जीवन का आधार (Basis of Life):

हमारे शरीर के हर परमाणु में इलेक्ट्रॉन मौजूद हैं । इसका मतलब है कि जीवन स्वयं इलेक्ट्रॉन के प्रवाह (Flow of Electrons) पर निर्भर है। विद्युत प्रवाह, रासायनिक प्रतिक्रियाएँ और जीवन की सभी क्रियाएँ इलेक्ट्रॉन की वजह से ही संभव हैं।

इलेक्ट्रॉन का उपयोग (Uses of Electron):

 जब इलेक्ट्रॉन किसी तार या चालक (Conductor) में एक दिशा में बहते हैं, तो विद्युत धारा (Electric Current) बनती है।

यही बिजली का मूल आधार है और घर, फैक्ट्री और उपकरणों में बिजली का प्रवाह इसी से संभव होता है।

2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग (In Electronic Devices):

सभी आधुनिक उपकरण जैसे ट्रांजिस्टर (Transistor), डायोड (Diode), माइक्रोचिप (Microchip), कंप्यूटर, मोबाइल, रेडियो आदि इलेक्ट्रॉन के सिद्धांत पर काम करते हैं।

इन उपकरणों में इलेक्ट्रॉन की गति और प्रवाह को नियंत्रित करके जानकारी और ऊर्जा का आदान-प्रदान किया जाता है।

3. टेलीविजन और मॉनिटर में उपयोग (In TV and Monitor):

पुराने CRT टीवी और मॉनिटर में इलेक्ट्रॉन बीम (Electron Beam) का इस्तेमाल स्क्रीन पर चित्र बनाने के लिए किया जाता था।

इलेक्ट्रॉनों की दिशा और गति नियंत्रित करके पिक्सल्स (Pixels) पर प्रकाश डाला जाता था।

4. एक्स-रे मशीन में उपयोग (In X-ray Machines): जब तेज गति वाले इलेक्ट्रॉन किसी धातु की सतह से टकराते हैं, तो एक्स-रे (X-ray) उत्पन्न होती है। इसका उपयोग चिकित्सा (Medical) और औद्योगिक जाँच में किया जाता है।

5. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में उपयोग (In Electron Microscope):

इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति (Wave Nature) का उपयोग करके बहुत छोटे वस्तुओं और जीवाणुओं को देखा जा सकता है। यह साधारण माइक्रोस्कोप की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली और सूक्ष्म होता है।

6. रासायनिक बंधन में उपयोग (In Chemical Bonding):

दो परमाणुओं (Atoms) के बीच बनने वाले रासायनिक बंधन इलेक्ट्रॉनों के साझा (Sharing) या स्थानांतरण (Transfer) पर आधारित होते हैं।

यही कारण है कि इलेक्ट्रॉन रासायनिक प्रतिक्रियाओं और जीवन की सभी रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष:

इलेक्ट्रॉन एक बहुत ही सूक्ष्म उप-परमाण्विक कण है, जिस पर हमेशा नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और यह परमाणु के नाभिक के चारों ओर घूमता है। इसका द्रव्यमान बहुत कम है और इसका प्रतीक e⁻ है। इलेक्ट्रॉन की खोज जे. जे. थॉमसन (1897) ने की थी और उसके बाद वैज्ञानिकों ने थॉमसन, रदरफोर्ड, बोहर और क्वांटम मैकेनिकल मॉडल के माध्यम से इसके व्यवहार को समझाया। इलेक्ट्रॉन केवल कण ही नहीं बल्कि तरंग की तरह भी व्यवहार करता है। इसकी गति और ऊर्जा विद्युत धारा, चुंबकत्व, रासायनिक बंधन और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आधार बनती है। दैनिक जीवन में यह टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल, एक्स-रे मशीन, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप जैसे उपकरणों में काम आता है। अदृश्य होने के बावजूद, इलेक्ट्रॉन हमारे जीवन, विज्ञान और तकनीक का आधार है और इसके बिना आधुनिक दुनिया की कल्पना भी असंभव है।

 

 

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