Number System : Number System क्या है। Number System in Hindi

Number System : Number System क्या है।  Number System in Hindi : 

ध्यान दें(Note) : इस पेज में संख्या पद्धति (Number System) के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है। यहाँ आपको Number System से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलू और सवालों के जवाब विस्तार से मिलेंगे।

अगर आप सच में इसके  बारे में अध्ययन करना चाहते हैं, तभी आप इस पेज को पढ़िए , अन्यथा अपना समय बर्बाद न करें। हम बहुत सी Simple शब्दों में बताने जा रहे है।

“सबसे पहले Number(संख्या) और System(पद्धति या नियम) को समझते है।”

संख्या (Number) का अर्थ : किसी वस्तु को गिनने (Count), मापने (Measure) और नापने के लिए जिन गणितीय चिन्हों (Mathematical Symbols) का प्रयोग किया जाता है, उन्हें संख्या (Number) कहते हैं।

जैसे : 1,6,7,9,8,10, 15, 25, 79, 1258, 964, 10085976 आदि सभी संख्याएँ (Numbers) हैं।

पद्धति (System) का अर्थ :  System (पद्धति) का अर्थ है नियम या तरीका (Rule or Method) होता है।

Number System किसे कहते हैं? (What is Number System in Hindi  .

परिभाषा(Definition) : “संख्याओं को नियमपूर्वक लिखने, पढ़ने तथा व्यवस्थित करने की व्यवस्था को संख्या पद्धति (Number System) कहते हैं।”

जैसे :

1 के बाद 2 आता है, 2 के बाद 3 और 3 के बाद 4 आता है। यह एक निश्चित नियम और व्यवस्था है।

अगर 1 के बाद 4 आए या 2 के बाद 8 आ जाता तो यह गलत हो जाती और ये कोई पद्धति नहीं कहलाती।

Note : Number System में संख्याओं (Numbers) के विभिन्न रूपों (Forms), उपयोगों (Uses), गुणों (Properties) तथा इनके आपसी संबंधों (Relationships) का नियम पूर्वक , इसके बीच के संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

Number System के प्रकार :  Types of Number System in Hindi .

इसके मुख्य रूप से दो ही भाग/ भेद होते है। जिसकी जानकारी निम्नलिखित रूप में दी गई है। एक बात कहना चाहेंगे , किताबों में या अन्य किसी website पर इसके भेद या प्रकार को लेकर अलग अलग चीजें देखने को मिल सकता है। लेकिन आपको Confused नहीं होना है। अब जो बता रहे है वह बिलकुल Natural चीजें बता रहे है।

यह सामान्य रूप से इसके दो ही भेद है।

  1. गणितीय भेद। अर्थात गणित के दृष्टिकोण से।
  2. Compur भाषा के दृष्टिकोण से। इन दोनों भेद की जानकारी निम्न प्रकार दी गई है।

 

(1) गणितीय भेद (Mathematical Classification)

यह संख्याओं की प्रकृति (Nature) पर आधारित है। अर्थात जिस संख्या को जो प्रकृति होती हैं उनके आधार पर बांटा गया हैं और उसका प्रयोग किया गया हैं। यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो इन संख्याओं को हमेशा ध्यान में रखें , क्योंकि ये सब गणित के Basic चीजें हैं। आप चाहे किसी भी कक्षा के छात्र हो , इसे आवश्य याद रखें। अब हम बारे – बारी से इन संख्याओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं।

1. प्राकृति संख्या (Natural Numbers – N)

परिभाषा: गिनती की संख्या को प्राकृति संख्या कहते हैं , जो 1 से शुरू होकर अनंत तक जाती है।

अथवा एक से शुरू होकर अनंत तक जाने वाली संख्या को प्राकृति संख्या कहा  जाता है।

जैसे : 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 … आदि।

✅ सूचक: N

✅ प्रयोग: गणित में लगभग हर विषय में।

2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers – W)

परिभाषा :  शून्य से शुरू होकर अनंत तक जाने वाली संख्या को पूर्ण संख्या को पूर्ण संख्या कहते है।

अर्थात यदि प्राकृति संख्या शून्य(Zero) को जोड़ दिया जाए तो वह पूर्ण संख्या बन जाता है।

जैसे : 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 …

✅ सूचक: W ( इसे W से सूचित किया जाता है)

✅ प्रयोग: गणना और गिनती में जहाँ 0 शामिल हो।

 

3. पूर्णांक (Integers – Z)

परिभाषा: धनात्मक और ऋणात्मक संख्या तथा 0 को पूर्णाक कहते हैं।

उदाहरण: …, -5, -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, 5 … आदि।

✅ सूचक: Z

✅ प्रयोग: लाभ-हानि, तापमान, ऊँचाई-नीचाई मापने में।

4. परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers – Q)

जैसे : वह संख्या जिसे p/q के रूप में लिखा जा सके  (जहाँ p और q पूर्णांक हों और q ≠ 0),  परिमेय संख्याएँ कहलाता हैं।

जैसे : 1/2, 3/4, -2/3, 7/5, 0.25, -0.6 … आदि।

✅ सूचक: Q

✅ प्रयोग: भाग, अनुपात, माप और वित्तीय गणना में।

 

5. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) 

परिभाषा : वह संख्या जिसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकें अर्थात भिन्न (Fraction) के रूप में नहीं लिखा जा सके , तो वह अपरिमेय संख्याएँ कहलाती हैं।

उदाहरण: √2, √3, π, e, √5 … आदि।

✅ सूचक: विशेष रूप से अपरिमेय संख्याओं के रूप में।

✅ प्रयोग: ज्यामिति, विज्ञान और इंजीनियरिंग में constants के रूप में।

 

6. वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers – R)

परिभाषा: परिमेय और अपरिमेय दोनों संख्याओं को वास्तविक संख्याएँ कहते हैं।

उदाहरण: -3, 0, 1/2, 2.5, √3, π … आदि।

✅ सूचक: R

✅ प्रयोग: गणित और विज्ञान में हर प्रकार के माप और गणना में।

7. काल्पनिक संख्याएँ (Imaginary Numbers – i)

परिभाषा: जिन संख्याओं में √(-1) जैसा मान होता है, उन्हें काल्पनिक संख्याएँ कहते हैं।

उदाहरण: i, 2i, 3i, -5i, 7i …

✅ सूचक: i

✅ प्रयोग: इलेक्ट्रॉनिक्स और गणितीय समीकरणों के हल में।

8. सांयुक्‍त संख्याएँ (Complex Numbers – C)

परिभाषा: जिनमें वास्तविक और काल्पनिक दोनों भाग होते हैं, उन्हें सांयुक्‍त संख्याएँ कहते हैं।

उदाहरण: 3 + 2i, -1 + 5i, 2 – 3i, 0 + i …

✅ सूचक: C

✅ प्रयोग: इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, क्वांटम भौतिकी और सिग्नल प्रोसेसिंग में।

 

9. अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers – P)

परिभाषा: 1 और स्वयं के अलावा किसी अन्य संख्या से विभाजित न हो तो वह अभाज्य कहलाती हैं।

उदाहरण: 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29 … आदि।

✅ सूचक: P

✅ प्रयोग: क्रिप्टोग्राफी, कंप्यूटर सुरक्षा और गुणन-खंडन में।

10. भाज्य या संयोजित संख्याएँ (Composite Numbers – C)

परिभाषा: वह संख्या जो 1 और स्वयं के अलावा किसी अन्य संख्या से विभाजित हो तो वह संयोजित संख्या कहलाती हैं।

उदाहरण: 4, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 15, 16, 18 … आदि।

✅ सूचक: C

✅ प्रयोग: फैक्टराइजेशन, विभाजन और गणितीय पैटर्न में।

 

11. सम संख्याएँ (Even Numbers)

परिभाषा : 2 से विभाजित होने वाली संख्याएँ को सम संख्याएँ कहते हैं।

जैसे : 0, 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 18 … आदि।

✅ कोई विशेष सूचक नहीं होता।

✅ प्रयोग: पैटर्न, गणना और अंकगणित में।

12. विषम संख्याएँ (Odd Numbers)

परिभाषा: वह संख्या जो  2 से विभाजित न हो तो वह विषम संख्याएँ कहलाती हैं।

जैसे : 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19 … आदि।

✅ कोई विशेष सूचक नहीं होता।

✅ प्रयोग: पैटर्न, खेल और गणितीय समस्याओं में।

 

13. अतिपरिमेय संख्याएँ (Transcendental Numbers – T)

परिभाषा: वे संख्याएँ, जो किसी भी भिन्न (Fraction) या मूल (Root) से नहीं बनाई जा सकतीं, अतिपरिमेय संख्याएँ कहलाती हैं।

उदाहरण: π, e, 2^√2, ln(2), (π + e) …

✅ सूचक: T

✅ प्रयोग: विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणितीय constants में।

(2) गणना पद्धति (Computational / Digital Classification)

यह संख्याओं के Base (आधार) पर आधारित है। कंप्यूटर विज्ञान और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स में इसका प्रयोग होता है।

1. बाइनरी संख्या पद्धति (Binary Number System – Base 2):

केवल दो अंक – 0 और 1

(कंप्यूटर इसी पर काम करता है)

2. दशमलव संख्या पद्धति (Decimal Number System – Base 10):

0 से 9 तक कुल 10 अंक

(हमारी सामान्य गिनती इसी पर आधारित है)

3. अष्टाधारी संख्या पद्धति (Octal Number System – Base 8):

0 से 7 तक के अंक

 

4. षोडशाधारी संख्या पद्धति (Hexadecimal Number System – Base 16):

0 से 9 तक के अंक + A, B, C, D, E, F

विस्तार से   : 

1. दशमलव संख्या पद्धति(Decimal Number System) 

इसमें कुल 10 अंक (Digits) होते हैं – यह 0 से  1,2,3,4,5,6,7,8,9 तक होते है । इन्हीं अंकों से संख्या बनाए जाते है । हम Zero से लेकर अन्नत तक गिनती लिख सकते है।

प्रयोग : 

इसका प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में सबसे अधिक करते है। गणित के क्षेत्र में हो अथवा अन्य कोई क्षेत्र जैसे माप, तौल , गणना आदि । इसी पद्धति का उपयोग किया जाता है। मतलब किसी भी चीज को गिनती करना हो तो इस पद्धति का प्रयोग होता है।

एक विद्यार्थी के लिए यह पद्धति सबसे ज्यादा उपयोगी होता है क्योंकि जब वह गणित या अन्य किसी विषयों का अध्ययन करता है तो गणना के लिए इसी Dicimal Number System को प्रयोग में लाते है। जोड़, घटाव, गुणा, भाग, भिन्न, प्रतिशत सब  इसी में आते है।

2. द्विआधारी संख्या पद्धति (Binary Number System) : 

द्विआधारी संख्या पद्धति (Binary Number System) एक ऐसी पद्धति है जिसमें सिर्फ दो अंक (Digits) का उपयोग होता है। वह दो अंक 0 (शून्य) और 1 (एक) है । इसका आधार(Base) 2 होता है। जैसे दशमलव (Decimal) पद्धति में 0 से 9 तक के 10 अंक होते हैं, उसी तरह द्विआधारी में केवल 0 और 1 ही होते हैं।

Examples :

Binary (₂) Decimal (₁₀) हिंदी
(0)₂ 0 शून्य
(1)₂ 1 एक
(10)₂ 2 दो
(11)₂ 3 तीन
(100)₂ 4 चार
(101)₂ 5 पाँच
(110)₂ 6 छह
(111)₂ 7 सात
(1000)₂ 8 आठ
(1001)₂ 9 नौ
(1010)₂ 10 दस

इस तालिका को देखकर आपके मन में सवाल आता होगा कि ये सब कैसे हुआ है – 10 का आधार 2 है तो यह 2 कैसे हुआ। (100) का आधार(Base) 2 है तो यह 4 कैसे हुआ । आपके लिए नीचे एक उदाहरण प्रस्तुत करते है इसे समझ गए तो आगे भी सब समझ जायेंगें।

उपयोग (Uses of Binary Number System) : 

  • कंप्यूटर और मोबाइल की भाषा Binary ही होती है।
  • हर डाटा (Text, Image, Audio, Video) 0 और 1 के रूप में ही स्टोर और प्रोसेस होता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (ElectronicDevices) जैसे  : Calculator, Processor, Microchip सभी Binary पर काम करते हैं।

3. अष्टाधारी संख्या पद्धति (Octal Number System)

जिस संख्या पद्धति का आधार (Base) 8 होता है, उसे अष्टाधारी संख्या पद्धति (Octal Number System) कहते हैं।

इसमें कुल 8 अंक (Digits) प्रयोग होते हैं:

0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7

7 के बाद सीधे 10 (आठ) लिखा जाता है, जो कि Decimal 8 के बराबर होता है।

जैसे : 

Octal संख्या 17 (Base 8) = Decimal संख्या 15 (Base 10)

Octal संख्या 25 (Base 8) = Decimal संख्या 21 (Base 10)

इसका उपयोग पहले कंप्यूटर सिस्टम और प्रोग्रामिंग में बहुत किया जाता था, क्योंकि यह Binary को सरल रूप में लिखने का आसान तरीका है।

4. षोडशाधारी संख्या पद्धति (Hexadecimal Number System)

जिस संख्या पद्धति का आधार (Base) 16 होता है, उसे षोडशाधारी संख्या पद्धति (Hexadecimal Number System) कहते हैं।

इसमें कुल 16 चिन्ह (Symbols) प्रयोग होते हैं:

0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F

👉 यहाँ A = 10, B = 11, C = 12, D = 13, E = 14 और F = 15 (Decimal के अनुसार)।

15 (F) के बाद Hexadecimal में अगली संख्या होती है: 10 (Base 16) = Decimal 16

Examples : 

Hexadecimal संख्या A (Base 16) = Decimal संख्या 10 (Base 10)

Hexadecimal संख्या 1F (Base 16) = Decimal संख्या 31 (Base 10)

यह संख्या पद्धति आज भी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, वेब डिजाइन (HTML Color Codes), और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स में बहुत उपयोग होती है।

निष्कर्ष: 

आपने अभी संख्या पद्धति(Number System) के बारे में अध्ययन किए। कुल बात यह है कि संख्याओं को दो भेदों के आधार पर अध्ययन किया जाता है।

1. गणितीय संख्या पद्धति (Mathematical Number System) : इसमें संख्याएँ के उनकी प्रकृति के आधार पर बाँटी जाती हैं और इसका प्रयोग गणित में सबसे ज्यादा किया होता है।

जैसे : प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय, अपरिमेय, वास्तविक, काल्पनिक और सांयुक्‍त संख्याएँ। इसी के अंदर उपभेद आते हैं – सम, विषम, अभाज्य, भाज्य आदि। 

2. कंप्यूटर संख्या पद्धति (Computational Number System) :  इसमें संख्याएँ उनके आधार (Base) के आधार पर बाँटी जाती हैं।

जैसे : बाइनरी (Base 2), दशमलव (Base 10), अष्टाधारी (Base 8), षोडशाधारी (Base 16)।

उम्मीद है कि आप संख्या पद्धति के बारे में समझ चुके होंगे और आपको अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे।

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